भगवान कृष्ण को क्या अधिक पसंद है?

Bhagwan krishna ki priy vastuyein

ऐसी कौन सी चीज है जिनसे नंदगोपाल कृष्ण अधिक प्रसन्न होते(bhagwan krishna ki priy vastuyein) हैं?आइये हम आपको उन खास चीजों के बारे में बताते हैं जिनको अर्पण करने पर ठाकुर जी की कृपा मिलती है|

भगवान कृष्ण को 5 अति प्रिय वस्तुएं – Bhagwan krishna ki priy vastuyein

गाय

गाय कृष्ण को अति प्रिय है इसलिए तो उन्हें गोपाल, गोविन्द आदि नामों से पुकारा जाता है|

जिस किसी को भगवान् कृष्ण की कृपा प्राप्त करनी हो उसे गायों की निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए इससे कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं|

मोरपंख

यह कृष्ण अपने मस्तक पर धारण करते हैं क्योंकि मोर ही एक ऐसा प्राणी हैं जो पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करता है|

इसके पंख देखने में सुन्दर और मनमोहक लगते हैं इसलिए इसे कृष्ण अपने सर पर मोरमुकुट के रूप में लगाते हैं|

कमल

यह पवित्रता का प्रतीक है क्योंकि वह कीचड़ में रहने के बावजूद सबसे अलग रहता है|

इससे हमें एक अच्छी शिक्षा भी मिलती है और वह यह कि हमारे आस-पास चाहे जितने अवगुण भरे पड़े हों लेकिन अगर आप चाहें तो आप गुणवान बन सकते हैं|

व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जीना चाहिए यह हम कमल से सीख सकते हैं|

बांसुरी

यह तो कृष्ण को अति प्रिय है| इसको धारण करने की वजह से उन्हें भक्त लोग वंशीबजैया भी कहते हैं|

बांसुरी में 3 गुण होते हैं| पहला इसमें कोई गाँठ नहीं होती इसलिए हमें किसी की बुराई को गाँठ नहीं बाँध लेना चाहिए|

दूसरा यह बिना बजाये बजती नहीं इसलिए हमें जब जरूरत हो तभी बोलना चाहिए अनावश्यक न बोलें|

तीसरा है इसकी मधुर आवाज इसलिए हमें हमेशा मीठा बोलना चाहिए|

माखन-मिश्री

इसके लिए तो गोपियाँ उन्हें माखनचोर, माखनलाल आदि नामों से पुकारती हैं, क्योंकि वे अपने सखाओं और भाई बलराम के साथ गोपियों के घर में घुसकर उनका माखन चुरा कर खा जाते हैं|

जन्माष्टमी के दिन माखन-मिश्री का अवश्य भोग लगायें इससे कृष्णजी की कृपा मिलती है|

भगवान् हमारे जगत गुरु हैं वे हम जीवों पर कृपा करने के लिए अवतरित होते हैं|

वे हमें अपने आचरण से सिखाते हैं कि मनुष्य को किस प्रकार से अपना जीवन जीना चाहिये|

दोस्तों मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भगवान् भक्त वत्सल हैं| उन्हें हमारे किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है|

वो तो बस प्रेम देखते हैं इसलिए हम जो कुछ भी भक्तिभाव से, प्रेम से उनको अर्पित करते हैं वो ग्रहण कर लेते हैं|

शास्त्रों में ऐसे कई उदाहरण हैं चाहे वो सबरी का जूठा बेर हो या विदुरजी के यहाँ के केले के छिलके जो ये साबित करते हैं कि भगवान् केवल भावग्राही हैं|

इसलिए उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हमें उनके नाम, रूप, गुण, लीला आदि का कीर्तन और श्रवण करना चाहिए|

दोस्तों अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे आगे अपने परिवारजनों और मित्रों संग जरूर शेयर करें|

धन्यवाद| राधे-राधे|

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